Friday, January 13, 2012

बिजली का जाना


सुबह के साढ़े नौ बजे हैं, अभी-अभी रेडियो श्रीलंका से 'हफ्ते के श्रोता' कार्यक्रम समाप्त हुआ है. परमार जी अच्छी तरह प्रस्तुत करते हैं, यूँ तो सभी एनाउंसर अच्छे हैं. कितनी गर्मी हो गयी है. नूना कपड़े प्रेस कर रही थी कि बिजली चली गयी, ऐसा यहाँ कभी कभार ही होता है, शायद दूसरी या तीसरी बार ही हुआ है. कल शाम एक दक्षिण भारतीय जोड़ा आया, कुछ सप्ताह पूर्व ही उनकी शादी हुई है. उनके साथ नाश्ता किया सो रात को सिर्फ दलिया ही बनाया. पिछले दो तीन दिन से रोज रात को स्वप्न में सभी परिवार जनों को देखती है नूना. 

वर्षा की झड़ी लगी हुई है, रिमझिम बरसता पानी नूना को बहुत बाता है और जून को भी. आज शनिवार है. अगर दिन भर यूँ ही पानी बरसता रहा तो कितना अच्छा होगा. कल वे एक हिंदी फिल्म देखने गए तब भी वर्षा हो रही थी, नूना थोड़ा सा भीग भी गयी, फिल्म उदासी भरी थी, शोषण का घृणित रूप दिखाया गया था फिल्म में. कल घर से पत्र भी आया, कितना सुख देते हैं पत्र पढ़ने वाले को. जून की बांह में पिछले दो-तीन दिनों से दर्द था, वह आज भी डॉक्टर के पास नहीं जा पाया होगा. नूना ने सोचा वह उसका ज्यादा ख्याल रखेगी. उसे सूप पीना पसंद है, सो वह आलू-परवल-टमाटर  का सूप बनाएगी.  

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