Saturday, February 4, 2012

प्रेमचन्द का गाँव


आज शाम को खबर मिली कि नया घर खाली हो गया है, संभवतः उन्हें एक हफ्ते में यह घर छोड़ना होगा. जून के कान में पानी चले जाने से संक्रमण हो गया है. उसे एक कान से कम सुनाई देता है. डॉक्टर ने जो इलाज बताया है कर रहा है पर बहुत दिन हो गए, फिर भी उसे पूरा विश्वास है कि एक दो दिनों में कान पूरी तरह ठीक हो जायेगा. नूना ने प्रेमाश्रम काफ़ी पढ़ ली है, उसे बहुत रोचक लगी यह पुस्तक. पढ़ते समय वह भी उन गांववासियों के बीच पहुँच जाती है, उपन्यास के नायक प्रेमशंकर को उस झोंपड़ी में बैठे हुए देखती है. सुबह बूंदाबांदी हो रही थी वह छाता लेकर घूमने गयी. आज सभी को पत्र लिखे दोनों ने. क्लब में व्ही,. शांताराम की एक पुरानी फिल्म थी 'आदमी' पर प्रिंट अच्छा नहीं था, सो वे लाइब्रेरी चले गए. दोपहर को एक ब्लाउज सिला नूना ने, लम्बाई थोड़ी कम रह गयी पर उसे लगता है कि अभ्यास करे तो वह अपने कपड़े सिल सकती है. 

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