Tuesday, February 7, 2012

यात्रा तीन दिन की


आज सुबह खबरों में सुना कि संत लोंगोवाल की मृत्यु हो गयी. किस तरह एक नेता जिसके पीछे हजारों लोग होते हैं एक हत्यारे की गोलियों का शिकार होकर दम तोड़ देता है. गाँधी हर युग में होते हैं और हर बार उन्हें जान देनी पड़ती है. आज सुबह से बार-बार वही खबरें आ रही हैं. जून आज पुनः अस्पताल गया था, विशेषज्ञ के पास. आज उसने अपनी बाइक भी साफ की, उसे बहनों की भेजी राखियाँ मिल गयीं. कितने दिन बाद आज शाम बादल छा गए और झमाझम वर्षा होने लगी. वे घर पर ही रहे.
अगले हफ्ते जून को तीन दिनों के लिये बाहर जाना है, नूना भी उसके साथ जायेगी. वे नया घर भी देख आये, अच्छा है पर इस घर से आत्मीयता सी हो गयी है, छोड़ते समय दुःख तो होगा ही. कितना परिचित लगता है इसका हर कोना, फिर उनके जीवन का यह पहला पडाव है जिसमें उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की है.

No comments:

Post a Comment