Tuesday, February 21, 2012

पीला कुरता



आज सुबह साढ़े पांच बजे जून ने आवाज देकर उसे उठाया, उसके पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा था परसों भी उसे कुछ पलों के लिये ऐसा दर्द उठा था पर आज तो वह ऑफिस भी नहीं जा पाया, लंच के बाद गया. वह कान के लिये भी और दवा लाया है. कल शाम वह बहुत उदास था, पर बाद में ठीक हो गया, दोपहर को उसकी एक बात नूना को रास नहीं आयी थी, पर वह जानती है कि उनका प्रेम इन छोटी-छोटी बातों से कहीं बड़ा है. उसने प्रार्थना की कि वह जल्दी से ठीक हो जाये. कल सुबह वह एक परिचिता के यहाँ भी गयी थी उनकी माँ का देहांत हो गया, कितनी उदास थीं वह, मृत्यु एक कटु सच्चाई है सबसे बड़ा सत्य है.
अगले दिन वे तिनसुकिया गए, पर पहले की तरह बस से नहीं, मोटरबाइक से, बहुत जल्दी पहुँच गए. रास्ते में वह सोच रही थी कि कल की गलतफहमी के बाद वे और निकट आ गए. जून ने तो जैसे तय कर लिया था कि उसे पीले रंग का कुरता खरीद कर ही देगा, कई दुकानों पर घूम-घूम कर मनपसंद पीला रंग का रुबिया का कपड़ा मिला. इस समय वह दोपहर बाद की इतवार की चाय बना रहा है, वह आजकल कभी कभार ही लिखता है, सो नूना ने भी लिखना बंद किया और चाय पीने लगी.

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