Friday, March 9, 2012

फोन पर मुलाकात


शाम हो गयी है, नूना को उसके फोन का इंतजार है, जो सात से आठ बजे के बीच कभी भी आ  सकता है. पर फोन पर वह कुछ भी बात नहीं कर पाती, सिर्फ सुनती है. अभी तीन दिन और हैं जून को वापस आने में. आज सुबह से वह घर पर ही थी. सामने वाली उड़िया लड़की घर गयी है और दूसरी काफ़ी देर से घर आयी है. बाहर अँधेरा हो गया है. सुबह का भोजन फिर बच गया है. एक किताब पढ़ी, The Promise अच्छी प्रेम कहानी है, उसने सोचा जून के आने पर उसे सुनाएगी. आज एक खत भी आया है घर से.
कल शाम जून का फोन नहीं आया, काफ़ी इंतजार के बाद उसने कुछ नहीं किया, भोजन भी वैसे ही पड़ा रहा. बाद में पता चला कि फोन किया था पर जिनके यहाँ किया था वे ही बता नहीं पाए थे. आज शाम वह बाजार गयी, वे तीन थीं, कार आ गयी थी, उसने खीरा व कोल(केले) खरीदे. दोपहर को एक तेलुगु परिचिता के यहाँ गयी. इस समय उसके सर में हल्का दर्द हो रहा है, शायद दिन भर आराम नहीं किया इसलिए या कि मार्केट से वापस वे पैदल आये इसलिए. उसने सोचा जून के न रहने से ही सारी समस्या है. उसकी दिनचर्या भी यहाँ की तरह नियमित नहीं रह पाती होगी.
आज उन्होंने फोन पर आराम से बात की. नूना बहुत खुश है. जून ने बताया काम बहुत है, दिन भर व्यस्त रहना होता है, तो उसने कहा, कोई बात नहीं, वह तो कभी काम से घबराता नहीं, जिस काम के लिये वह गया है बस उसे शीघ्र ही पूरा करके लौट आये. दोपहर को वही तेलुगु परिचिता आ गयी थीं, कुछ देर लूडो खेला फिर रमी भी, कुछ समय पंख लगा के उड़ गया. आज रात भी वह फलाहार करने वाली है, पहले खीरा, फिर कुछ देर बाद केला व दूध. सुबह तोरई की सब्जी व रोटी बनायी थी पर रात को कुछ बनाने का मन नहीं होता.

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