Tuesday, March 13, 2012

स्वप्न का संसार



आज सुबह वह एक स्वप्न देख रही थी कि दस बजे परीक्षा देने जाना है. देर से सोकर उठी है, तैयारी कुछ की नहीं है, बड़ी मुश्किल से तैयार हो पाती है कि वर्षा आरम्भ हो जाती है. जाना बहुत दूर है एक सहेली है उसका भाई स्कूटर पर उन दोनों को छोड़ आने को कहता है पर रास्ते में उसका स्कूटर खराब हो जाता है. चप्पल भी कहीं छूट जाती है नंगे पैरों अब बस से जाते हैं, पर चप्पल होना जरूरी है, एक दुकान पर जाते हैं, चालीस रूपये की एक चप्पल दुकानदार दिखाता है जो बहुत अच्छी तो है पर इतनी मंहगी खरीदनी नहीं थी. परीक्षा छूट न जाये यह डर अलग है एक पुलिसवाला भी दिखा छड़ी दिखाते हुए जब एक स्कूटर पर तीन लोग जाने वाले थे, और तभी बजी दरवाजे की घंटी, दूधवाला आया था और उसकी जान में जान आयी.
शुक्रवार होने के बावजूद आज क्लब में फिल्म नहीं है, पहले हर शुक्रवार को कोई न कोई फिल्म दिखाई जाती थी. पूजा की छुट्टियाँ होने वाली हैं, सो एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है. कल उन्होंने शतरंज खेला और कॉपी पर खेलने वाले कई अन्य खेल. नूना को कभी-कभी लगता है कि उसकी ऊर्जा व क्षमता के अनुरूप कोई कार्य उसे नहीं मिल रहा है, वह अपना समय व्यर्थ कर रही है. 

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