Tuesday, April 17, 2012

भुनी मूंगफली व शकरकंदी


आज जून को वाराणसी के लिये रवाना होना था, इस समय वह दिल्ली रेलवे स्टेशन पर होगा या ट्रेन में,  उसने सोचा. कल शाम को वह बहुत उदास थी, एक दिन मिलकर सब कह देगी. वह भी तो ऐसा ही अनुभव करता होगा. दिन में कुछ देर वह स्वेटर बुना जो माँ बना रही हैं. कुछ देर को सोयी स्वप्न में उसे देखा, कल रात भी देखा था और अब रोज ही देखेगी. नाईट सूट सिलने दे दिया, घर पर ठीक नहीं भी सिल सकता था. आज से आयरन टेबलेट लेनी थीं, पर नहीं लीं. अब कल से शुरू करनी हैं. बड़ी बहन व छोटे भाई को पत्र लिखे. उसे भी पत्र लिखना है जो इन महीनों में, जब वे दूर हैं, उसका सबसे प्रिय कार्य होगा. दूर तो मात्र भौतिक रूप से होंगे, मन से तो पहले से भी निकट होंगे.
एक दिन और बीत गया, वह सुबह ही घर पहुँच गया होगा. इस समय वह भी टीवी पर ‘यह जो है जिंदगी’ देख रहा होगा. सुबह वह सात बजे उठ गयी थी पर उसके पूर्व तीन बजे से ही वह जाग रही थी. स्वप्न देखा, उसे भी देखा, पर वे उदास थे. आज फिर वह उसे देखेगी. आज देवर का भेजा सुंदर कार्ड मिला. माँ के साथ बाजार भी गयी, दर्जी को एक लाल सूट सिलने को दिया. भुनी हुई मूंगफली व शकरकंदी खरीदी. उसने सोचा कि जून ने उसे खत लिखा होगा, और वह भी लिखने बैठ गयी.
 

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