Friday, July 13, 2012

कच्चे बेल


कई दिनों से ससुराल के घर से चिट्ठी नहीं आयी है, जून ने तार भेजा है, उम्मीद है सोमवार तक जवाब आ जायेगा. छोटू जैसे-जैसे बड़ा हो रहा है समझ आती जा रही है उसे, ज्यादा ध्यान और समय माँगने लगा है. कल सारी दोपहर और शाम पांच बजे तक वह उसके साथ ही खेलती रही पर वह मान ही नहीं रहा था. इस समय सो रहा है, उसके लिये हरे मटर और फूलगोभी के चंद टुकड़े उबालने हैं. जून तिनसुकिया गया है, घर फोन करने का प्रयत्न किया, पर यह संभव नहीं हो सका, एक टेलीग्राम और भेजा है उसने, वह उदास है इस बात से. इसी हफ्ते पत्र आ जाये तो कितना अच्छा हो. आज सुबह से वर्षा हो रही है, कितना अन्धेरा है उस कमरे में, जहाँ नन्हा सोया है. माँ का पत्र आया है वे लोग यहाँ आएँगे ऐसा लिखा है, शायद मई, जून में या नन्हें के पहले जन्मदिन पर. चाची का पत्र भी आया है बहुत दिनों बाद. आज पहली बार टीवी पर दूरदर्शन में सुबह का नया कार्यक्रम देखा, ‘राजा रामन्ना’ का इंटरव्यू अच्छा था और कन्नड़ गीत भी.

एक नया दिन, सुबह के सात बजे हैं, अभी-अभी जून ऑफिस गया है, रात भर वह कितने सपने देखती रही. वह बैगन के पकौड़े तल रही है पर वे हैं कि खत्म होने को ही नहीं आते. एक बहुत बड़ा सा जुलूस निकल रहा है सड़क पर..कल वह बाजार से दो बेल के फल लायी थी. सोच रही है उसका शर्बत बनाएगी, लेकिन माँ कैसे बनाती थीं उसे याद ही नहीं आ रहा.

वही कल का सा समय है और कल का सा मौसम, कल दोपहर बाद ही बादल एकत्र हो गए और रात भर बहुत बरसे. रात दो बजे बादलों के शोर से नन्हा उठ गया और उसके बाद सोने का नाम ही नहीं, जून ने दूध बनाया वह उसे चुप कराती रही कितनी देर उसे सुलाने का प्रयत्न किया एक बार सोया फिर उठ गया, अब कैसे सो रहा है मस्ती से. पत्र आज भी नहीं आया न ही तार का जवाब, आज हो सकता है जून डाकघर जाकर पता करें. वे बेल तो कच्चे निकले.

 

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