Tuesday, August 7, 2012

कहीं वर्षा कहीं सूखा


उसके शरीर में लचक तो जैसे रह ही नहीं गयी है, व्यायाम या आसन करते समय पता चलता है. कमर का घेरा इतना बढ़ता जा रहा है कि डर लगता है किसी दिन माँ की तरह मोटी न हो जाये. वह नियमित व्यायाम करती भी कहाँ है, प्रातः उठते ही करना ज्यादा अच्छा है, सुबह-सुबह वातावरण इतना शांत होता है, उसने सोचा, कल से ऐसा ही करेगी पर उसके लिये सुबह जल्दी उठना होगा, आजकल तो सुबह का अलार्म भी नहीं सुनाई देता, तामसी वृत्ति का प्रभाव है. इसी तरह उन दिनों जून को भी नहीं देता होगा. कल रात सामने वाले दादा ने भी खाना खाया सो बर्तन तो सभी जूठे पड़े हैं. आठ बजे हैं, नन्हा अभी-अभी उठ गया है, सो अब लिखना बंद.

कल उसकी नव विवाहिता पड़ोसिन ने दुबारा कहा, साड़ी में आप अच्छी लगती हैं, और उस दिन उसकी कीमती और ढेर सारी साडियां देखी थीं, अमीर घर की लड़की है. कल शाम वह उन्हीं आंटी से मिलने गयी जिनकी बहू घर छोड़ कर चली गयी थी. उनसे बातें करके अच्छा लगता है पर कल उनकी बातें सुनकर बहुत दुःख हुआ, हाल ही में हुए पति वियोग के कारण एक तो वह वैसे ही दुखी थीं, होना तो यह चाहिए था कि उनके बेटा बहू इतना ख्याल रखते कि उन्हें पुरानी बातें याद न आतीं  पर हुआ यह कि बहू लड़-झगड़ कर मायके चली गयी. कल एक और दम्पति मिलने आये थे, बिहार के थे, दोनों ही धीरे-धीरे रुक-रुक कर बोलने वाले शर्मीले स्वभाव के लगे. कल शाम वे सब्जी लेने गए तो वर्षा शुरू हो गयी पर वापस आकर देखा तो यहाँ उनके घर के आसपास सब सूखा था. रात को जब वे भोजन कर रहे थे, नन्हें को ड्रेसिंग टेबल का दरवाजा खोलते बंद करते समय मसूड़े में दांत से चोट लग गयी, पल भर को तो वह रोया लेकिन थोड़ी देर में ही चुप हो गया और ऐसे बातें करने लगा जैसे कुछ हुआ ही नही हो.

रोज के कार्य के अलावा उसने आया से दो काम करवाए हैं, उसने सोचा एक रुपया देगी उसे. अच्छी लड़की है, जो कहो सिर हिलाती है. सुबह उसने फ्लॉक्स के बीज इक्कट्ठे किये, अगले वर्ष काम आएंगे. कल शाम वे तेलुगु मित्र के यहाँ गए थे, आइसक्रीम खिलाई औए आलू के भजिये, अच्छा  लगता है उनके घर जाकर, उनका दो साल का बेटा बहुत होशियार हो गया है, अपने खिलौनों को सोनू को हाथ तक नहीं लगाने दिया. आज उनकी लेन के पहले घर में रहने वाली छोटी बालिका का जन्मदिन है, वे शाम को बाजार जाकर कोई उपहार लायेंगे.





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