Friday, August 10, 2012

ब्रेड रोल और मैंगो शेक





आज जवाहरलाल नेहरु की पुण्यतिथि है. उनका माली छुट्टी पर गया है, दोपहर को आकाश में बदली थी, उसकी छांह में वह कुछ देर बगीची में काम करती रही, थोड़ी सफाई वगैरह. कल रात भर वर्षा होती रही, हर वर्ष की तरह कुछ जिलों में बाढ़ आ गयी है. रेल व बसें भी नहीं चल रही हैं.

आज सुबह जून को सामने वाले बंगाली मित्र ने अपनी लाल मारुती में लिफ्ट दी, पूरी लेन में सिर्फ उन्हीं के पास कार है, और वह सबको उसमें बिठाने के लिये तैयार रहते हैं. उनके जाने के बाद उसने स्नान-ध्यान करके डायरी उठायी कि नन्हा उठ गया. इस समय वह तकिये उठाकर इस कमरे में चटाई पर रख रहा है दोपहर को पापा के सोने के लिये, बेडरूम में दोपहर बाद धूप से ज्यादा गर्मी हो जाती है, सो वे बैठक में नीचे सोते हैं. कल उसने दीदी को एक बड़ा सा पत्र लिखा. कपड़े ठीक किये और  vocubulary exercise करने का प्रयत्न, कितने ही नए शब्द और पुराने शब्दों की root मालूम हुई. कल उड़िया पड़ोसिन घर से लाए हुए पकवान दे गयी, उसका छोटा भाई व ससुर आये हैं, सदा की तरह उससे एक कौर भी नहीं खाया गया. कल घर से पत्र आया, पिता चिंतित हैं कि वह बी.एड करने के लिए जून के बिना एक वर्ष तक कैसे रहेगी.

आज वह अपने जीवन के एक नए वर्ष में प्रवेश कर रही है, मन में कितने ही अनूठे, सुंदर, पवित्र भाव उठ रहे हैं, आज सुबह जून ने उसे जन्मदिन की शुभकामनायें दीं. किसी का जन्मदिन का कार्ड अभी तक तो नहीं आया है, उसने सोचा, देखें परसों पहले किसका आता है. जीवन में इतने वर्ष उसने कैसे गुजारे हैं यह सोचने का वक्त अभी नहीं है, आने वाला वर्ष कैसा हो यह कल्पना में है. जिन बातों को वह रोज पढ़ती है, गीता में जो भाव सात्विक हैं, उन्हें प्राप्त कर सके और कठिनाइयों से जूझना सीखे. नन्हे के साथ आगे की पढ़ाई नहीं कर पायेगी, ऐसा नहीं, बल्कि कर सकेगी, यही सोचना ठीक है. समय सबको सिखाता है, नन्हा भी सीख जायेगा कुछ देर के लिये उससे दूर रहना. शाम को जून वेल साईट गए थे, दो घंटे में लौट आये. उनकी प्रेस खराब हो गयी है, सो कपड़े इकट्ठे होते जा रहे हैं. कल जून बनवाने ले जायेंगे.

कल जून को पे स्लिप मिल गयी और उन्होंने अच्छा सा जन्मदिन मनाया. उसने ब्रेड रोल बनाये थे और मैंगो शेक. उनके एक परिचित दम्पती आये थे, उसकी कविता के पहले प्रशंसक, अब वह रोज ही कुछ न कुछ ही लिखेगी दोपहर को. कितना अच्छा लगता होगा अपने पाठकों से अपनी कहानी, कविता की प्रशंसा सुनकर लेखक-लेखिकाओं को.. आजकल वह सुबह नन्हे को जल्दी उठा देती है नहीं तो दोपहर को सोने में आनाकानी करता है.  



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