Friday, March 1, 2013

स्वामी विवेकानंद का सम्पूर्ण साहित्य



आज भी दिन बादलों भरा है. सुबह एक घंटा उसने बगीचे में काम किया, अच्छा लगता है उसे मिट्टी और घास का स्पर्श. कल उसने अपनी कुछ कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद किया, यहाँ क्लब की पत्रिका में छपने के लिए देनी हैं, बड़े भाई व छोटी बहन का भी जन्मदिन का बधाई कार्ड मिला, साथ ही एक शोक समाचार भी कि पिछले हफ्ते मामाजी का देहांत हो गया. उसने सोचा मामी जी को एक पत्र लिखेगी. लिखना उसे भाता है, लेकिन यह हमेशा सुखद अनुभव हो ऐसा नहीं होता, लिखना तकलीफदेह भी होता है. उसके बाद संतुष्टि की अनुभूति दोनों परिस्थितियों में समान होती है. अब उसका स्वास्थ्य ठीक है, कल जून उसके लिए एक हवाई चप्पल लाए हैं, जिस पर उभरे हुए दाने हैं, एक्यूप्रेशर करती है पैरों का. पहनने से थोड़ी चुभती है, धीरे-धीरे आदत हो जायेगी. सेंट्रल स्कूल के प्रिंसिपल से मिले वे लोग, जून का अंतिम सप्ताह में आने को कहा है, उसके मन में अभी भी दुविधा बनी हुई है. कल रात उसने पाकिस्तान से सम्बन्धित एक स्वप्न देखा, शाम को एक लेख पढ़ा था पाकिस्तान के बारे में या टीवी पर काश्मीरी मुसलमानों पर आधारित एक धारावाहिक का असर था. वह एक लम्बा स्वप्न था, वे पाकिस्तान में एक परिवार के साथ ठहरे हैं, वे लोग बहुत अच्छे हैं, बहुत स्वादिष्ट बिस्किट उन्होंने खिलाये, पर मार्केट में एक व्यक्ति ने उस पर हमला कर दिया. उसे पहले भी कई बार पाकिस्तान की यात्रा के स्वप्न आ चुके हैं, वह एक बार वहाँ जाना चाहती है.

आज जून दिगबोई गए हैं, शाम तक आएंगे. नन्हा मित्र के घर खेलने गया है, उसने कल शाम को लायी विवेकानंद की किताब खोल कर देखी, लाइब्रेरी में उनका पूरा साहित्य आठ भागों में है, वह कल पहला भाग लायी है. कल शाम वे जून के एक पुराने परिचित के यहाँ गए जिन्होंने कल ही उनके एरिया में घर शिफ्ट किया है, उनकी दो नन्ही जुड़वाँ बच्चियां थीं, शायद दोनों कुछ अस्वस्थ थीं, माँ उन्हें चुप कराते हुए खुद भी थक चुकी थी, उसे बहुत मन हुआ कि किसी तरह उनकी सहायता करे. लौटते समय उसने जून से कहा कि वह उन्हें एक बार भोजन पर बुलायें.

कल उसने लेडीज क्लब ज्वाइन किया. उसे पहली मीटिंग अच्छी लगी. कुछ भाषण थे और कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम. कल नई कमेटी भी चुनी गयी. उसे लगता है वह जल्दी ही क्लब की सक्रिय कार्यकर्ता बन जायेगी. अगर कोई उससे पूछे कि उसने क्लब क्यों ज्वाइन किया तो उसका जवाब कुछ ऐसा होगा- वह किसी के लिए कुछ करना चाहती है, लोगों से मिलना-जुलना चाहती है. वह खुद को जानना चाहती है कि वह क्या कर सकती है, क्या उसकी सीमाएं हैं. वह कुछ नया सीखना चाहती है, वह अपनी कवितायें सबके सामने पढ़ना चाहती है.

After two days or say three days she is again with herself. Sunday and Saturday were calm and pleasant with books and tv. Yesterday they went to an old frind’s place after a long gap to eat mangoes of their tree. Mangoes, she did not like but to be with them was good after so many days. Nnha and their son are friends and understand eachother. Today jun has gone to office and sonu to school, she is alone with her ideas and thoughts. She believes that they are not bodies but innocent souls. May be some day she will feel it and from now onwards she will try always to get that goal. She shall be indifferent, be truthful, be kind and be calm in every moment  nothing will touch her. Her happiness will not depend on any thing else but on her God.

उसने आज कई दिन बाद एक कविता लिखी-

गर्मियों की एक शांत सुबह

आसमान में ठहर गया है सूरज थककर
चलते चलते सुबह से
घरों में छुप गए हैं लोग
घबराकर उसकी तपन से
हवा शांत है, कहीं कोई पत्ता नहीं खड़कता
निकल पडती है धूप में कभी कोई बहादुर चिड़िया
पेड़ों की छाँव तलाश चुके हैं गली के आवारा कुत्ते
ओसारे में बंधी गाय रम्भाती है प्यास से
इस चिलचिलाते मौसम में भी घूमता है पोस्टमैन
लिए चिट्ठियाँ दूर दूर की
द्वार खुलते हैं पर झट से हो जाते हैं बंद
कभी कोई दयालु बुढिया निमंत्रण देती है
ठंडे पानी का, निकल पड़ता है पोस्टमैन फिर...




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