Friday, April 5, 2013

भंरवा भिन्डी



आज फिर उसने कुछ सोचा है, जैसा पहले भी कई बार सोचा है कि उसे अपना समय यूँ ही व्यर्थ नहीं करना चाहिए. ईश्वर के वरदान स्वरूप मिले इस जीवन को, इतने सुदर संसार को यूँ ही बिताए जाना कोई बुद्धिमानी तो नहीं, कम से कम और कुछ नहीं तो एक पन्ना तो रोज लिखना ही चाहिए न, तो आज की कविता अभी क्यों न लिखी जाये, उसे कल शाम आकाश पर देखे बादलों के अद्भुत रंगों की याद हो आई और कुछ पंक्तियाँ लिखीं, फिर कुछ लाइनें उस अनाम मित्रता के नाम जो उसने करनी तो चाही पर कभी की नहीं किसी से. दो दिन बाद होली का त्योहार है, जून आज गुझिया के लिए सामान ले आए हैं, कल बनाएगी वह . उसने सोचा होली पर ही कुछ लिखे, बचपन की होली पर -
होली के रंगों में रंगकर

“फागुनी मौसम में बौराया मन
यूँ ही बे बात मुस्कुराया मन
आमों के बौर की सुवास लिए
महका मन अनबूझी प्यास लिए”

होली आई, आकर चली भी गयी अपनी यादें छोड़ गयी अगले बरस तक. सचमुच प्यार का त्योहार है होली, नहीं तो इतने सारे लोग एक साथ क्यों मिलने चले आते..कहाँ हैं वे अकेले, फिर कभी-कभी का अकेलापन ही तो महसूस करता है शिद्दत से दोस्ती को.

  अप्रैल महीने के चार दिन बीत गए और उसे खबर तक नहीं हुई, इतनी बेसुधी भी ठीक नहीं न, होशोहवास उसी हद तक गंवाने चाहिए जहाँ तक अपनी सुध-बुध रहे और इस बार इस नींद से जगाया है रीता सिंह ने, फरवरी की इस सेवी वीमेन की जितनी तारीफ करे कम है, उसने उसके भीतर सोयी कुछ कर दिखाने की भावना को हवा दी है, और इस बार लगता है कि इस बात का असर काफी देर तक रहने वाला है. कई योजनाएं एक साथ दिमाग में आ रही हैं जिनमें सबसे पहली तो है, रेडीमेड कपड़ों का बिजनेस, दूसरी है लिनेन का बिजनेस. गर्मी की छुट्टियों में जो उसे घर जाने का अवसर मिल रहा है, इसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए, जून की छत्र छाया से अलग रहकर कुछ अपने तौर पर करने की आजादी का लाभ. लेकिन अभी तो दस बजने वाले हैं और उसे भोजन बनाना है, सो दिवास्वप्न देखना बंद.

  इस समय जाने क्यों दायें कंधे में हल्का दर्द है, शायद व्यायाम करने में कोई नस चढ़ गयी  होगी. अभी दूध उतारने गयी तो अगूंठा चूल्हे से लग गया है, यूँ तो यह छोटी-मोटी जलन किचन के रोजाना के कार्यकलाप हैं या कहें दुर्घटनाएं हैं लेकिन दर्द तो आखिर दर्द ही है न. आज उसे लिखने के मध्य कितनी बार उठना पड़ा, पहले नैनी को हिदायत देनी थी भिन्डी कैसे काटे, जून की फरमाइश है आज भंरवा भिन्डी बनाये, फिर बाथरूम की छत ठीक करने मजदूर सामान रखने आये, फिर नैनी को चाय बनाकर देनी थी. नन्हे की आंख लाल है, सो जून को फोन करने उठी पर कई बार की तरह वह मिले नहीं. अब चूँकि दस बजने वाले हैं रसोईघर में जाना है.

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