Friday, June 7, 2013

बाल कृष्ण का नृत्य


कल सुबह वह व्यस्त थी, ढेर सारे कपड़े इकट्ठे हो गये थे, वाशिंग मशीन न हो तो समय और श्रम कई गुना बढ़ जाते. आज भी ग्यारह बजने वाले हैं, नन्हा रिहर्सल में गया है, वह  क्लब में होने वाली ‘चिल्ड्रेन मीट’ में समूह नृत्य में भी भाग ले रहा है, मौसम आज भी ठंडा है, बल्कि समाचारों में सुना, उत्तर भारत में भयंकर गर्मी पड़ रही है और  ज्यादा वर्षा से गुवाहाटी में जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कहीं बाढ़ तो कहीं भीषण गर्मी, भारत देश अद्भुत है. उसकी बंगाली सखी को उसका पत्र पढकर कैसा लगा होगा, वह जोर से हंस भी सकती है और उदास भी हो सकती है. अब उसे लिखना छोडकर उन सबके लिए फुल्के सेंकने चाहिए, उसने सोचा. आजकल ऐसा ही होता है, डायरी में दिल की बात लिखने के करीब आते-आते  ही इसे बंद कर देना पड़ता है.

दोपहर के दो बजने को हैं. नन्हा आज भी रिहर्सल में गया है और वहीं से खेलने चला जायेगा. जून रोज की तरह ऑफिस में हैं, वह पिछले आधे घंटे से कल का अख़बार पढ़ रही थी और फिर एक बिजनेस पत्रिका के पन्ने पलटती रही, उसकी रूचि का इसमें कुछ नहीं मिला. एक नॉवेल The Humbler Creation पड़ा है पर समय नहीं है अभी, दो बजे से वह इम्ब्रायडरी करते हुए कुछ देर टीवी देखती है, वैसे देखती कम, सुनती ज्यादा है. अपने जन्मदिन तक उसे यह कुरता पूरा करना था पर अब शायद इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उसी दिन उन्हें सिलचर जाना है, TGT centrl school की पोस्ट के इन्टरव्यू के लिए आज सुबह ही जून ने फोन करके बताया. अब उसे अपनी किताबें भी निकालनी होंगी, गणित, केमिस्ट्री और फिजिक्स की किताबें. आज सुबह उसने तल्ख भाषा का प्रयोग किया और जून को  नाराज किया, पर बाद में बहुत पछताती रही, लेकिन वह कोशिश करेगी कि अपनी भाषा को जून के लिए और सबके साथ भी मधुर रखे. आज असमिया टीचर का फोन आया वह भी नाराज थीं, उन्हें किसी ने बताया क्यों नहीं, कुछ दिन क्लास नहीं होगी, शाम को वे पहले उनके घर जायेंगे और फिर क्लब, नन्हे को कविता पाठ में भी भाग लेना है, उसके लिए वहाँ से कविता लिखकर लानी है.

आज नैनी नहीं आई सो साढ़े दस बजे उसके काम खत्म हुए हैं, कुछ देर के लिए पड़ोसिन भी आ गयी, उसकी चाबी पतिदेव के पास रह गयी थी, फोन करके उसने चाबी मंगाई, कल नन्हे का अंतिम कार्यक्रम है ‘ग्रुप डांस’, आज सुबह एक सखी ने बताया, सिलचर में इन्टरव्यू कैसा हो सकता है, उसकी एक मित्र हाल ही में देकर आयी है. कल से ही स्वयं को हल्का अस्वस्थ महसूस कर रही है, शायद यह मौसम का असर है या फिर आने वाले इन्टरव्यू का जिसके लिए वह स्वयं को थोड़ा भी तैयार नहीं पा रही है, उन महिला से बात करने के बाद तो और भी कम. भगवान ही जानता है, क्या होगा. कल वे बच्चों के नृत्य देखने क्लब गये थे, नन्हा कृष्णसखा के रूप में बहुत सुंदर लग रहा था, पर उसके ग्रुप को कोई इनाम नहीं मिला, हाँ, ‘स्किट’ में उनके ग्रुप को एक पुरस्कार मिला है.  



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