Tuesday, July 2, 2013

डिश एंटीना- स्वप्नों का संसार


सोमवार के बाद आज शनिवार को डायरी खोलने का समय मिला है, यूँ दोपहर को समय होता है पर उस वक्त मन नहीं होता, सुबह ही लिखने का अभ्यास हो गया है और वह है कुछ नियम-कायदों पर चलने वाली, हाँ, यह बात और है कि सारे नियम-कायदे अपनी सुविधा के अनुसार बनाये हैं, और हो भी क्यों न, आखिर वही तो उन्हें बना रही है और उनका उपयोग कर रही है ! तो पिछला पूरा हफ्ता इतनी व्यस्तता में गुजरा कि कल आखिर उसने जून से बात कर ही डाली कि साधू माली को हटाकर जो आजकल उनके आया रूम में रह रहा है, एक नैनी ही रख लेते हैं, बाहर से आकर काम करने वाली नैनी के साथ खुद भी लगना ही पड़ता है. उसने अपनी पड़ोसिन से बात की है, उसकी नौकरानी यदि आने को तैयार हो जाती है तो अच्छा रहेगा तब वह साफ-सफाई और सब्जी काटने के कामों के अलावा कुछ रोचक काम कर सकती है.
 बुधवार की शाम को बिजली चली गयी तो वे अपने एक मित्र के यहाँ चले गये, कल भी बिजली सुबह चार बजे से ही गायब थी, जो शाम को तीन बजे आई, दोपहर को जून भी नहीं आये, उसका मन कुछ अस्त-व्यस्त सा था, पहले दो घंटे एक किताब पढ़ती रही फिर साइकिल चला कर बिना फोन किये असमिया सखी के यहाँ गयी, उसे शायद उम्मीद नहीं थी, खैर, उसे साइकिल चलाना अच्छा लगा. नन्हे को उसकी कक्षा का कैप्टन बनाया गया है, उसने ध्यान दिया कि वह भी उसकी तरह एक ही बात को बार-बार पूछने पर नाराज हो जाता है. उसकी बैक डोर पड़ोसिन गढ़वाली है, उसकी तबियत का हाल पूछने वह उसके घर गयी थी बातों-बातों में उसने बताया कि उसके पति भी उसी वर्ष गढ़वाल के उसी शहर में थे जब वे लोग वहाँ थे.

आज भी अभी तक जून नहीं आए हैं, उसने मेज पर खाना लगा दिया और इंतजार के क्षणों को काटने के लिए पत्र लिखने लगी, तीन पत्र पूरे भी हो गये और उनका पता नहीं था तो उसने डायरी उठा ली है. कल रात लगभग ग्यारह बजे उन्हें कमरे में कुछ आवाज सुनाई दी, पर जगकर देखने के बाद कहीं उसका स्रोत नजर नहीं आया, वह कुछ देर सो नहीं सकी, रात को मन कितनी जल्दी  आशंकित हो जाता है. अचानक उसे याद आया एक खत और लिखना है, जो वह लंच के बाद लिखेगी. बीते हुए कल उसने डिश एंटीना के बारे में जून से बात की और आने वाले कल उनके बगीचे के पिछवाड़े में वह लग भी जायेगा, उसने सोचा कितना अच्छा होगा जब वे जी टीवी के सभी कार्यक्रम देख पाएंगे.

आज फिर जून लंच पर नहीं आएंगे, वे अपने साथ टिफिन ले गये हैं और उसके पास हैं किताबें और ढेर सारा समय, जो चाहे करने के लिए या कहीं जाने के लिए, लेकिन वह तय नहीं कर पाई, कहाँ जाना चाहिए, फिर उसने सोचा, वह स्वयं को कुछ नये कामों में व्यस्त रखेगी, पर वह जानती है ज्यादा समय तो पढ़ने में ही बीतेगा. वह कुछ लिखने का प्रयास भी कर सकती है जैसे कोई भूली हुई कविता या कोई अच्छी सी बात उस किताब से नोट कर सकती है बाद में पढ़ने के लिए. उसे अभी अखबार भी पढ़ना है इतवार का स्पेशल एडिशन भी और नन्हे का लाया बच्चों का जासूसी उपन्यास भी है ‘हार्डी बॉयज’, जो उसे अच्छा लग रहा है, अपने बचपन में उसने ऐसी कोई किताब कभी नहीं पढ़ी. कल जून ने माली की सहायता से डिश के लिए पोल लगवा दिया, नन्हा बहुत खुश है और वे दोनों भी,किसी ने सही कहा है, हर चीज का एक वक्त होता है, कुछ दिन पहले तक वे सोचते थे कि डिश एंटीना लगवाना व्यर्थ है और किसी हद तक हानिकारक भी, पर आज लग रहा है, घर में डिश एंटीना होना तो बिलकुल सामान्य सी बात है. नन्हे को पिछले कुछ दिन से हल्की खांसी है उसे होमियोपैथी दवा दिलवाने शाम को ले जायेंगे.

जून आज दोपहर को खाने पर आएंगे, अभी अभी फोन पर कहा है और वह उत्साह से भर गयी है, सुबह वह ‘लंच पैक’ अपने साथ ले गये थे पर शायद उन्हें फील्ड से जल्दी आना पड़ा है. Nanha made her cry in the morning, she told him to gargle and he became irritated, she doesn't know why did she feel pain, pain of losing him, he is grownup and and doesn't listens as before. She cried that one day he will go so far from her that her presence will make no difference for him, but after 10-11 minutes he saw her red eyes and asked the reason, when she told him, he himself brought tear in eyes, He is so sensitive too and she thinks she is not going to lose him ever. All morning chores is done and after writing few more lines she will read that book of positive thinking and health. Yesterday they got one cute letter from her cousin brother. He seems much mature through his letters. They all will reply him. Raksha bandhan is also in next month, she has to bring rakhis for all of them, sending them is must for her, Rakhies  at least binds them together.  

   



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