Tuesday, November 5, 2013

गाजर का हलुआ


नव वर्ष का प्रथम दिवस ! इस समय रात्रि के नौ बजने वाले हैं, वे लोग टीवी समाचार का इंतजार कर रहे हैं. नन्हे की तबियत ठीक नहीं है, गोहाटी में उसे सर्दी लग गयी थी, इसलिए आज स्कूल नहीं गया लेकिन नये साल का स्वागत करने में वह उन दोनों से आगे रहा, कल रात वह देर तक नहीं जग सकी और पुराना वर्ष कब नया बन गया पता ही नहीं चला. जबकि नन्हे ने जगकर सारे प्रोग्राम देखे, सवा बारह बजे अपने आप टीवी बंद किया और सुबह ड्राइंग रूम भी सजाया. शाम को दो-तीन मित्र परिवारों को चाय पर बुलाया था. टीवी पर असम में पिछले दो-तीन दिनों से हुए बोडो उग्रवादियों के हमलों पर रिपोर्ट आ रही है, एकाएक ही बम विस्फोट की वारदातें बढ़ गयी हैं, उनकी यात्रा शांति पूर्ण रही, यही सोचकर संतोष हुआ उसे. आज उसने सेवइयों की खीर बनाई और उम्मीद की कि उसकी मिठास सारे साल उनके साथ रहेगी.

टीवी पर सीताराम केसरी के सीपीपी लीडर चुने जाने की चर्चा हो रही है. नन्हा आज दिन भर अस्वस्थ रहने के बाद अब ठीक लग रहा है, शाम को उसके पेट में दर्द था, वे बाजार से नींबू और सोडा लाये. आज सुबह वह देर से उठी, जून को नाश्ता देने के बाद फिर सो गयी, रात को साढ़े बारह बजे तक टीवी पर hello new year देखकर देखकर सोयी थी. पर इस रतजगे का असर दिनभर बना रहा, दोपहर को ‘उपमन्यु चटर्जी’ की किताब पढ़ती रही, फिर शाम को वे घूमने गये. जून का कहना है, उनके घर पर आ जाने के बाद उसे कोई निजी कार्य नहीं करना चाहिए, सब काम ऐसे हों जो वे दोनों मिलकर कर सकें.

जून आज फ़ील्ड ड्यूटी पर हैं, सो देर से आएंगे. नन्हा भी खेलने गया है, आज वह कल से बेहतर है. नूना भी इस वक्त हल्का महसूस कर रही है, तन और मन दोनों से हल्का, पता नहीं अपने आप ही कभी मन ख़ुशी से भर उठता है, बेबात मुस्कुराने लगता है और कभी छोटी सी बात भी मन को भारी कर जाती है. शायद हारमोंस का कोई खेल हो. उसने अपने मन को संयमित करना भी तो छोड़ दिया है. योग-ध्यान किये हफ्तों हो गये हैं. आज सुबह वक्त से नींद खुल गयी, बाहर कोहरा बेहद घना था, बाद में धूप में वह टहलने गयी थी. शाम को इतनी ठंड बढ़ जाती है कि घर में बैठकर मूंगफली खाना और टीवी देखना ज्यादा अच्छा लगता है. माली ने धनिये के बीज डाले, डायन्थस और फ्लाक्स के पौधे अच्छी गति से बढ़ रहे हैं. अभी-अभी पेड़ से एक सूखा पत्ता पीठ पर गिरा लॉन में धूप चारों ओर बिछी हुई है और नीचे घास पर ध्यान से देखने पर नन्हे कीट रेंगते हुए दिख रहे हैं, शायद वे भी धूप का आनन्द उठा रहे हैं.


कल शाम जून का स्वेटर पूरा हो गया, आज वह पहन कर भी गये हैं, कल शाम साढ़े छह बजे वे आये, तिनसुकिया से ढेर सा समान लाये, लाल गाजर और खोया भी, उनके विवाह की वर्षगाँठ पर गाजर का हलुआ जो बनाना है उनके प्रेम की तरह मीठा...कल क्लब में लंच है वे शायद ही जाएँ, कहीं दूर से फोन की घंटी की आवाज लगातार आ रही है. 

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