Monday, February 17, 2014

पंजाबी ढाबा


अभी नई डायरी नहीं मिली है, पिछले साल की डायरी के एक खाली पन्ने में लिख रही है. सुबह से कुछ समय एक-दो फोन करने में और कुछ इधर-उधर का काम करते-करते ही ग्यारह बज गये. नैनी और उसके बेटे की सहायता से सामने के बरामदे के गमलों की साफ-सफाई भी करवाई. नन्हे की स्कूल बस नहीं आई, वह स्कूल नहीं जा पाया. बहुत देर से पढ़ाई कर रहा है, ऐसा वह इम्तहान के दिनों में ही करता है. आज क्लब में देर से जाना है, पिछले चार-पाच दिनों से रोज ही वे क्लब जा रहे हैं, आज ‘पंजाबी ढाबा’ है. कल सुबह भी उसे क्लब जाना है डेकोरेशन के सिलसिले में मदद करने, परसों अंतिम दिन है. उस दिन बहुत लोग आएंगे, साल भर लोगों को इस दिन का इंतजार रहता है. पर्दे सिलने का काम कल दोपहर शुरू कर दिया था, जो कल पूरा हो जायेगा.  

जून आज नीले रंग की नई डायरी ले आये हैं, हर पन्ने पर एक सुंदर वाक्य भी लिखा है. आज भी उसका काफी समय क्लब में गुजरा, एक सीनियर मेम्बर के साथ फूलों की सज्जा करने में और कुछ उनकी मिनट-मिनट पर बदलने वाले ideas सुनने में, वह परफेक्शन चाहती हैं और बाकी के लोग उनके साथ चल नहीं पाते, लेकिन कुल मिलाकर परिणाम अच्छा रहा सभी ने तारीफ की, वापसी में उन्होंने उसे घर भी छोड़ा. दोपहर को जब आई तो जून का चेहरा उतरा हुआ था, नन्हे को भी स्कूल से आकर उसका घर में न रहना अखरा और उसने कह दिया, आजकल आपका ज्यादा वक्त क्लब में ही गुजरता है. कल शाम अचानक पंजाबी दीदी के पतिदेव आ गये, उनका वही पुराना तरीका है बातें करने का, पर वह अपने साथ कोलकाता की छेने व खोये की मिठाई लाये हैं. उन्हें परसों रात्रि भोजन पर बुलाया है, उसे अपनी पाक कला को संवारने का मौका मिलने वाला है.

आज धूप उजली थी और हवा हल्की सी. वे दोपहर को ड़ेढ़ बजे क्लब गये और चार बजे लौटे, शाम को पुनः गये, पत्रिका मिली, सुंदर चित्रों से सजी वार्षिक पत्रिका. नन्हा गृहकार्य कर रहा है जून सोने की तैयारी कर रहे हैं, वह उस skit के बारे में सोच रही है जो वह हसबैंड नाईट के कार्यक्रम के लिए लिख रही है. पात्रों का चरित्र अभी तक निर्धारित नहीं हो पाया है. विभिन्न भाषा-भाषी महिलाये हैं, तो उनकी कुछ चारित्रिक विशेषताएं भी होनी चाहिए. नन्हे को सुनकर हँसी आई इसका अर्थ है कि हास्य मौजूद है नाटिका में.

आज सुबह स्वप्न में माँ-पापा व छोटे भाई को देखा, माँ आधुनिका लग रही थीं और दो छोटे-छोटे बच्चों को खिला रही थीं शायद नन्हे और उसकी ममेरी बहन को. एक छोटी सी बिल्ली को भी देखा. सुबह जल्दी उठना था सो सपना टूट गया. हिंदी व्याकरण इतना विस्तार से तो उसने पहले कभी नहीं पढ़ा, पढ़ाते-पढ़ाते स्वयं भी काफी सीख रही है. कुछ देर पूर्व वह पड़ोस में किसी काम से गयी थी, लौटते समय पूसी उछलती-कूदती सी उसके पीछे लग गयी. घर आकर भी उसके पैरों से लिपट कर कुछ मांग रही है. इस नन्हे और मूक प्राणी को वह कैसे समझाये कि मानवों की कठोर दुनिया में उसके प्यार का कोई मोल नहीं है.

जून ने बताया, राजधानी अब डिब्रूगढ़ तक आती है, उन्हें सम्भवतः माँ-पापा को लेने गोहाटी न जाना पड़े, छोटे भाई को टिकट बढ़ाने के लिए कह दिया है. एक महीना वे उनके साथ रहेंगे. आज उनके विवाह की सालगिरह है. बहुत सारे फोन आ चुके हैं, माँ ने कहा, यात्रा में कष्ट तो होगा फिर भी वे आएंगे, सचमुच इतने सारे एक्सीडेंट की खबरें सुनकर तो यात्रा एक यातना ही लगती है, फिर उसी ईश्वर की ओर दृष्टि उठती है, वही रक्षा करेगा. सुबह ड्राइंग रूम की सफाई की, दोपहर को डाइनिंग रूम की, शाम को मित्रों के साथ विशेष चाय पी, जून ने सुबह सवेरे एक कार्ड दिया बेहद खूबसूरत और डेयरी मिल्क चाकलेट भी ढेर सारे प्यार के साथ. सुबह सभी कमेटी मेम्बर्स को फोन किये कल शाम को उनके यहाँ मीटिंग है.

 


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