Thursday, April 3, 2014

शरलक होम्स के कारनामे


कुछ देर पूर्व एक सखी का फोन आया, कल से वह पढ़ाने जा रही है, खुश है, फ़िलहाल प्राइमरी सेक्शन को पढ़ाना होगा. कल से उसके जीवन में एक परिवर्तन आएगा, छह घंटे उसे घर से बाहर रहना होगा. जून की आज भी फील्ड ड्यूटी है. नन्हे को आज भी कम्प्यूटर क्लास जाना है, उसे encyclopedia में ‘कोलस्ट्रोल’ पर एक लेख मिल गया है जो उसे biology project work के लिए लिखना है. कल एक सखी से बात की, पर उसका ‘कोरस प्रतियोगिता’ के बारे में एक भी सवाल न पूछना उसे अच्छा नहीं लगा. फिर स्मरण हो आया, किसी की कोई बात अच्छी लगना या न लगना यह उसकी समस्या है, और वह क्यों व्यर्थ ही अपनी समस्या को बढाये, सो वह कोई अपेक्षा नहीं रखेगी and she will not judge any body.

जून अभी-अभी तिनसुकिया चले गये हैं और वहाँ से रात की ट्रेन से घर के लिए रवाना होंगे. यूँ लग रहा है जैसे उसके मन का एक कोना खाली हो गया है, कोई कुछ ले गया है छीनकर, जून का साथ जो पोर-पोर में समाया हुआ है वह कैसी कसक जगा रहा है मन में, मन जो रुआंसा सा हो गया है. मगर आने वाले आठ-दस दिन उसे उनके बिना रहना ही होगा, सुखद स्मृतियों के साथ..मौसम बहुत अच्छा हो गया है, उसने सोचा लाइब्रेरी जाना चाहिए या यूँ ही टहलने तो दीवाना दिल कुछ तो संभल जायेगा. आज सुबह वे साथ-साथ उठे, दोपहर को साथ-साथ भोजन किया, आज का साथ पिछले कई वर्षों के साथ से ज्यादा मोहक लग रहा है, क्यों कि उनके मन उसे पूरी तरह महसूस कर अपने में समो लेना चाहते थे. प्रेम एक निहायत ही खूबसूरत व पाक जज्बा है जो दो दिलों को एक-दूसरे के लिए धड़कने पर विवश कर देता है, ऐसा ही प्रेम वह इस वक्त महसूस कर रही है.

आज उसे नींद नहीं आ रही, नई-नई मिली आजादी का जश्न मन के साथ-साथ आँखें भी मना रही हैं. जब तक नींद न आए तब तक सोया न जाये यह नियम क्रन्तिकारी तो नहीं पर जोशीला तो है. मन जोश से भर जाये ऐसा कई दिनों से नहीं हुआ, तेज संगीत पर थक जाने तक थिरकने का ख्याल भी तो कब से नहीं आया, न ही बादलों को बरसते देख मन में कविता जगी. जिन्दगी एक रस्म की तरह निभती चली जा रही है, लोग मिलते हैं, इधर-उधर की बातें होती हैं, मौसम के ऊपर कभी एक दूसरे के जीवन के बारे में, पर ऊपरी-ऊपरी सतह तक, कभी अंदर उतर कर झाँकने की कोशिश भी करें तो एक गर्म हवा का झोंका चेहरे को झुलसा डालेगा ऐसा तेजी से आता है कि चार कदम पीछे लौटना पड़ता है. हरेक अपनी-अपनी सलीब ढोये आगे बढ़ रहा है. कुछ पल रुककर बातचीत कर लेते हैं लोग, कुछ पलों के लिए कंधों का बोझ हल्का लगता है फिर वही यात्रा. लेकिन क्या ये कुछ पल भी जरूरी नहीं हैं, सतही ही सही कोई चीज तो है ही जो लोगों को जोड़ती है और अगर किसी का दिल साफ है, शफ्फाफ है, खुद पर भरोसा है, मजबूत है तो अपनी शर्तों पर जियेगा. अगर ऐसा नहीं है तो वह किसी पर विश्वास नहीं कर पायेगा, तो जीने का सही तरीका अपने अंदर की ताकत से उपजता है.

अभी कुछ देर पहले जून का फोन आया, उसे लगा, चाहे वह यहाँ से दूर हैं पर उनका दिल यहीं है. कल उसके सिर में दर्द हो गया था, नन्हे ने दवा दी. सुबह वह सोच रही थी कि जून ने उससे एक बार भी  अपने साथ जाने के लिए नहीं कहा, पर अब उसे लग रहा है, वह उन्हें यात्रा की तकलीफ से बचाना चाहते थे. आज उसने गुलदाउदी के लिए गमले साफ करवाए. नन्हे के साथ बाजार गयी, उसने मेहमानों के लिए समोसे खरीदे, एक सखी ने कहा था शाम को आयेगी, पर जब वह चाय बनाने के लिए उठी तो वे कहने लगे, उन्हें जल्दी जाना है, वह तो पहले से ही प्रसन्न नहीं थी, उनकी यह बात उसे और परेशान कर  गयी. बाद में सोचा कि उन्हें कोई आवश्यक कार्य होगा याकि लोग भिन्न समय पर भिन्न व्यवहार करेंगे ही. वह इतनी संवेदनशील है कि पलक झपकने मात्र से ही कुम्हला जाती है. उसने सोचा उसे मजबूत बनना होगा.

शाम को उन्होंने कुछ पहेलियाँ हल कीं फिर लाइब्रेरी गये, नन्हे ने ‘शरलक होम्स’ की एक किताब ली, उसे डिटेक्टिव नॉवल पढना बहुत अच्छा लगता है. नूना को भी फेलूदा की कहानियाँ अच्छी लगती हैं. जून का फोन आज आ सकता है, अब वह मात्र एक हफ्ते के लिए दूर हैं, अगले हफ्ते वे साथ होंगे, A happy family !




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