Sunday, July 6, 2014

शिवरात्रि का उत्सव


There was a time when  mind was full of despair and there was a time when  mind was full oh hope. In fact both were not real.

फरवरी आरम्भ हुए अठारह दिन हो गये हैं और आज प्रथम बार डायरी खोलने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है, पिछले दिनों काफी कुछ घट गया जिसमें उसका यह निश्चय स्पष्ट हो गया कि अगले सत्र से वह स्कूल नहीं जा रही है. जून की अस्वस्थता का कारण उसका घर से बाहर जाना ही था. आजकल वह ठीक हैं, पर यहाँ तक पहुंचने के लिए उन दोनो को ही तनाव और घुटन के माहौल से गुजरना पड़ा. उन दिनों डायरी खोलते हुए भी डर लगता था कहीं मन की पीड़ा कटु शब्दों का रूप न धर ले. नन्हे की परीक्षाएं ठीक चल रही हैं, आज उसका संस्कृत का इम्तहान है. उसका स्कूल आज बंद है. पिछले दिनों वहाँ भी काफी कुछ बदल गया है. हेड मिस्ट्रेस ने इस्तीफा दिया, एक सीनियर टीचर को उनका कार्यभार सौंपा गया. अभी तक दिसम्बर की भी पे टीचर्स को नहीं मिली है. वार्षिक परीक्षाएं पहली मार्च से आरम्भ होनी हैं. स्कूल में तैयारियां ठीक हो रही हैं पर टीचर्स में पहले का सा उत्साह नहीं है. उसका सेकंड सिग्नेट्री होना भी किसी-किसी को खटक रहा है पर उसने अब मन से अपने को स्कूल से पूरी तरह अलग कर लिया है सो किसी बात का असर नहीं पड़ता. वैसे भी सदा उसका प्रयास यही होता है कि मन को मुक्त रखे, जिससे उच्चता की ओर उन्मुख हो सके. पिछले दिनों जिन्दगी ने एक और पाठ सिखाया है कि आपका प्रिय से प्रिय पात्र भी अथाह दुःख का कारण हो सकता है. यह बात तो वह पहले से मानती थी कि व्यक्ति को अपना रास्ता स्वयं तय करना पड़ता है उस दिन जून को अपने मन की बात बताकर उस मार्ग का पता भी चल गया, उसका मार्ग सहज है.. सरल भी और जून और नन्हा दोनों के मार्गों को छाया और स्नेह से पूर्ण करने वाला.

आज फरवरी का अंतिम दिन है. पुनः वह अपना लेखन का अभ्यास जारी नहीं रख पायी. कल से स्कूल में परीक्षाएं आरम्भ हो रही हैं. उसके बाद कापी जांचने का काम शुरू होगा, रिजल्ट मार्च के अंत में दिया जायेगा. इसका बाद ही वह त्यागपत्र दे देगी और पुनः स्वतंत्र हो जाएगी अपने समय को अपने अनुसार बिताने के लिए. संगीत, किताबें और बागवानी में. राज्य के एक मंत्री की मृत्यु के विरोध में आज ‘एजीपी’ ने असम बंद का आह्वान किया है. सभी को पैदल ही दफ्तर जाना पड़ा है. लंच में जून घर देर से आएंगे. आज उसने बहुत दिनों बाद दो पत्र लिखे. बढ़ई ने नन्हे की स्टडी टेबल में रैक्स लगा दिए हैं, बहुत सुंदर और सफाई से काम किया है उसने. नन्हा अपने मित्रों के साथ क्रिकेट खेलने चला गया है. कल रात्रि उसने स्वप्न में सुंदर स्थान देखे, मनोहर बगीचे और झील, झरने आदि. कल पड़ोसी मिलने आये थे, उन्होंने यात्रा के फोटोग्राफ्स उन्हें दिखाए और इसी बहाने स्वयं भी पुनः देखे, वही स्वप्न में एक बार फिर. जून और नन्हा आयें इससे पहले, अभी वह कुछ देर भगवद् गीता पढ़ेगी, फिर कुछ मिनट का ध्यान और रियाज. मौसम आज खिला हुआ है जो उसके दिल के करीब है.

आज शिवरात्रि का उत्सव है. अभी कुछ देर पूर्व वह बैक डोर पड़ोसिन के यहाँ गयी, उसके स्कूल छोड़ने की बात वह पहले से ही जानती थी. जून आज आ रहे हैं, परसों वह शिवसागर गये थे. नन्हे और उसे अब अकेले रहने का अभ्यास हो गया है सो अकेलेपन के अलावा और कोई दिक्कत नहीं हुई. परीक्षा की कापियां जांचने में कल तो उसे समय का पता ही नहीं चला, अभी कुछ दिन और चलेगा यह सिलसिला, फिर सिलाई के काम में व्यस्त रहेगी और तब मेहमानों के आने की तैयारी व उनके साथ कुछ दिन बेहद व्यस्त बीतेंगे. बैसाखी पर उनके जाने के बाद घर की सफाई, स्वेटर आदि धोकर रखना. फिर मई में उनके खुद के जाने की तैयारी यानि जून में जाकर वे कम व्यस्त होंगे, फिर नन्हे के स्कूल खुलने का वक्त आ जायेगा और जिन्दगी का सफर यूँ ही चलता चला जायेगा.






2 comments:

  1. स्कूल जब उसने ज्वाइन किया था तभी मुझे सन्देह था कि उसके लिये स्कूल का व्यवसाय झेलना तो आसान हो भी जाए, लेकिन अगर कभी उसे राजनीति का सामना करना पड़ा तो मुश्किल होगी. और आज वही हुआ. अचानक से स्कूल में इतनी उथल पुथल देखकर लगा कि उसका त्यागपत्र देने का निर्णय उचित है.
    जून की तबियत सम्भल गयी होगी अब.

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  2. स्वागत व आभार !

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