Friday, July 4, 2014

बाइकर्स के कारनामे



आज फिर कुछ दिनों के बाद मौका मिला है खुद से बातें करने का. नया वर्ष शुरू हुआ और देखते ही देखते साल का पहला महीना समाप्त होने को है. उन लोगों ने गणतन्त्र दिवस को एक उत्सव की तरह मनाया, टीवी पर परेड देखकर, छोटे-बड़े कलाकारों को राजपथ पर रंग-बिरंगी पोशाकों में नाचते हुए देख कर और विभिन्न राज्यों की मनभावन झांकियां देखकर मन-प्राण उल्लास से भर जाते हैं. नन्हे का प्रिय दृश्य है जेट की उड़ान और मोटर बाइकर्स के कारनामे. विवेकानन्द आश्रम उनके द्वारा रचित साहित्य ‘राज योग’ और ‘ज्ञान योग’ को पढ़ने पर मन में उन्नत विचारों का अभ्युदय होता है. जीवन के महत् उद्देश्य को पा लेने के प्रयास को बल मिलता है. अंततः तो उनके जीवन का उद्देश्य अंतिम सत्य की प्राप्ति है, मन को एकाग्र करते हुए जो जो अनुभव होते जाते हैं, वे प्रेरणा देते हैं.

इतवार की शाम ! कल की तरह आज वर्षा नहीं हो रही है, मौसम ठंडा तो पर सुहाना भी है. सुबह उनकी नींद थोड़ी देर सही खुली, फिर इतवार की सुबह के आवश्यक कार्य, घर की साप्ताहिक विशेष सफाई, कार की धुलाई, मालिश आदि के बाद विशेष स्नान और विशेष नाश्ता, इतवार का दिन बीच में आकर जैसे सब कुछ नया कर जाता है. दोपहर को कुछ देर हिंदी फिल्म मेला देखी, ज्यादा अच्छी नहीं लगी. अभी रियाज के बाद इरादा है कहीं बाहर जाने का. आज से क्लब में हिंदी किताबें भी मिलनी थीं, पर सुबह लाइब्रेरी जाने का समय नहीं होता, शाम को सप्ताह के बाकी दिन खुलती है. जून इस समय दफ्तर का कुछ काम कर रहे हैं, नन्हा पढ़ाई में व्यस्त है और उसे समय मिल सकता है ध्यान के लिए, पांच फरवरी से स्कूल में भी ‘ध्यान’ जरूरी होगा.

जब बात करने को कोई न हो तो डायरी से बढ़कर कोई नहीं, यह उसकी हर बार सुनती है, समझती भी होगी. आज महीने का, नये वर्ष के पहले महीने का अंतिम दिन है. सुबह उठे तो बादल नहीं थे, दिन भर धूप खिली रही पर ठंड बहुत थी. हेड मिस्ट्रेस ने PF के बारे में कहा और यह स्वीकार किया कि स्कूल पैसे कमाने की मशीन बनता जा रहा है शिक्षा संस्था वालों के लिए, खैर, उसे इस विषय में ज्यादा जानकारी भी नहीं है और स्कूल में न इन सब बातों के लिए वक्त बचता है. जून आजकल अस्वस्थ चल रहे हैं, हर समय परेशान रहते हैं और उन्हें खुद भी नहीं पता कि उनकी परेशानी की वजह क्या है. उससे बात करना भी उन्हें नागवार गुजरता है, उसे यह देख-सुनकर अच्छा नहीं लगता पर वह यह समझ पाने में असमर्थ है कि उन्हें किस बात का दुःख है ? नन्हे के फाइनल एग्जाम इसी महीने यानि फरवरी में हैं, वह वहाँ व्यस्त है, घर एकदम चुपचुप सा लगता है जैसे यहाँ कोई रहता ही न हो. आज सुबह उसने माँ-पिता से बात की वह उसके पत्र की प्रतीक्षा करते रहे, और पता नहीं कहाँ उसके दो पत्र रास्ते में ही गुम हो गये.




2 comments:

  1. बहुत इवेंटफुल नहीं रहा... नया साल एक बार फिर... गणतंत्र दिवस, ध्यान और स्कूल के व्यवसाय में परिवर्तित होने जाने की सोच/चिंता पर विचार... एक नये माह (नए साल का पहला महीना समाप्त हुआ ना) का प्रारम्भ एक नई सोच के साथ!

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  2. ऐसा ही है जीवन बार बार लौटकर आता हुआ..आभार !

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