Friday, August 1, 2014

राखी का उत्सव


कल रात से केबल गायब है, सो टीवी शांत है. कहीं से कोई आवाज नहीं, पंछियों की मद्धिम से आवाजें आ रही हैं या नैनी की डस्टिंग करने की आवाज, आज किचन की मंथली सफाई कर रही है. कल रात भर तेज वर्षा होती रही गर्जन-तर्जन और विद्युत की चौंध के बीच कई बार नींद खुली, स्वप्न भी आते रहे अअजीबोगरीब, नींद में व्यक्ति कितना बेबस हो जाता है, उसका स्वयं पर नियन्त्रण नहीं रह जाता. किन्तु यह साधारण व्यक्ति की बात है, योगियों की बात और है. आज सुबह ध्यान करने के बाद एक प्रेरणा हुई है. प्रतिदिन एक कविता लिखने की प्रेरणा जैसे उसने कई अन्य कार्य अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिए हैं. आज नन्हे की क्लास में Talk Competition है. कल शाम उसने अपना लिखा subject matter सुनाया, अच्छा लिख लेता है, उसे नन्हे पर गर्व हुआ.

Mother Teresa has said- we are all pencils in the hands of God. And she thinks, she is a pen in the hands of God. It is 10 am now weather is cool and calm like her mind today.  Today she heard one more talk on Vipasna by shri Goyenka ji and tried to experience it through meditation also by trying to keep an eye on her mind. He said, mind is made of four parts. One is the consciousness which knows, second identifies and judges, third inspires the feeling and fourth reacts. A common mind reacts sharply, his first part is week. All one has to do is to make it strong by making fourth part week ie by not reacting. One’s reaction should be as a line on water, temporary.. so every moment of life will be in peace. In meditation one should watch all the thoughts  that come in the mind and should not judge them or react against or in favour of them. They will grow and automatically wither away.

Today she talked to two friends. One is going home on Thursday they will go to meet them tomorrow. Other one wants one  letter from them for father-in-law which she will take with her to introduce herself.  Father-mother and all of them will definitely will be happy to meet her. Today is Tinsukiya district “Band” so Nanha has come back from bus stop after one hour. Dentist has called her for final checkup on Friday.Today weather is not so cool it is stuffy and humid but with her music practice she will get cool and calm, so  let her start.

आज बाबाजी की बातें सुनकर उसके मन में विचारों का प्रवाह चल पड़ा है. जैसे तरंग सागर में है और सागर तरंग में है वैसे ही बुद्धि चैतन्य में है और चैतन्य बुद्धि में है, इसका अनुभव हो जाये तो ही कोई व्यर्थ की चेष्टाओं से मुक्त रहकर अपने सामर्थ्य का पूर्ण उपयोग कर सकता है. अभी तो उनकी चेष्टाएँ ऐसी ही हैं जैसे पानी को कूटना हो या मृत देह को सजाना अथवा क्षुधित के पेट पर अन्न का लेप करना. मन से भी व्यर्थ का चिन्तन चलता रहता है, स्वयं को गुलाम वह स्वयं ही बनाता है, अपनी आदतों, इच्छाओं, लालसाओं का गुलाम, अपनी चाबी दूसरों के हाथों में सौंपकर स्वयं को एक खिलौना बना डाला है. यह जीवन कब अपने अंतिम क्षण को प्राप्त करेगा किसी को ज्ञात नहीं. इस नश्वर देह को लेकर अभिमान में चूर मन परछाइयों के पीछे दौड़ता रहता है. यह जगत एक विशाल भूलभुलैया है, जिसके एक कोने में खड़े वे भटकते रहते हैं. इससे ऊपर उठकर यदि देखें तो रास्ता नजर आयेगा पर वे तो शहद फंसी मक्खी के समान इसमें लिप्त रहते हैं, फिर यदि मन सदा एक उलझन सी रहे तो आश्चर्य कैसा ? ये बातें सुनने में अच्छी लगती हैं, इन पर अमल भी करते है पर थोड़े ही दिनों में भुला दी जाती हैं और वे अपने मन के अधीन होकर ऐसे कार्य करते रहते हैं जो नहीं करने चाहिए, मन में दृढ़ता की कमी है.

अज मौसम ठंडा है सुबह-सुबह माँ व भाई-भाभी से बात की, अब राखी भेजने का उत्साह बढ़ गया है. मंझले भाई ने कम्प्यूटर लिया है, यह खबर वह स्वयं देता तो ज्यादा ख़ुशी होती, पर अब भी ख़ुशी हुई है., और ख़ुशी तो ख़ुशी है ज्यादा या कम यह उनके मन का भ्रम है. कल एक सखी ने कहा घर जाते समय वे उनके यहाँ होते हुए जायेंगे, अच्छा लगा, मित्रता का तकाजा है कि एक दूसरे के काम आयें और एक दूसरे से मिलते-जुलते रहें, वे लम्बी छुट्टी पर घर जा रहे हैं. प्रतिपल सजग रहने का उसका प्रयास टीवी के कारण (या उसके प्रति आकर्षण के कारण) असफल हो जाता है क्योंकि कुछ देखते समय मन उसी में खो जाता है, उसी का हो जाता है अपने आप को भूल जाता है. ऐसा यदि ध्यान के वक्त हो तो ध्यान सफल हो. जून और नन्हे के अनुसार उसे स्वयं ही कम्प्यूटर ज्ञान बढ़ाना चाहिए.




No comments:

Post a Comment