Thursday, January 26, 2017

सिक्किम का भूकम्प


कल पंखा भी था, टीवी भी था फिर भी गर्मी का जिक्र किया आज न बिजली है, न पंखा है, न टीवी पर बापू की कथा आ रही है, पर भीतर संतोष है. जून आधे घंटे में आ जायेंगे. आज सुबह काफी वर्षा हुई. सिक्किम में भूकम्प के कारण काफी नुकसान हुआ है, जापान में पुनः बाढ़ व तूफान आया है. पाकिस्तान में भी बाढ़ है. मानव ने अपनी मूर्खताओं से ऐसी स्थिति उत्पन्न कर ली है. प्रकृति का तो यह रोज का काम है. रोज ही कहीं न कहीं भूकम्प आते ही रहते हैं. पृथ्वी के होने का यही तरीका है. सागर है तो तूफान आयेंगे ही !

‘वह कौन है’ यह प्रश्न भीतर गूँज रहा था कि किसी ने पूछा, प्रश्न पूछने वाला कौन है..और गहन शांति हो गयी. कोई जवाब नहीं आया. लेकिन मौन में भी मन मुखर था. कुछ दृश्य, कुछ शब्द सुनायी दे रहे थे. आज से उसने यही ध्यान करने का निश्चय किया है. मन का शुद्धिकरण तो साधना से होता है पर विस्तार भी बहुत हो जाता है. जब सारा ब्रह्मांड ही खुद के भीतर भासने लगे तो अहंकार भी उतना ही विशाल होगा. अभी भी यही कामना भीतर बनी रहती है, देह स्वस्थ रहे, मन शांत हो, बुद्धि तीक्ष्ण हो, जगत में यश हो, सारी सुख-सुविधाएँ हों तो इन कामनाओं में और एक संसारी व्यक्ति की कामनाओं में जरा सा भी भेद नहीं है. हाँ, इतना जरूर हुआ है अब भीतर द्वेष नहीं रहा है, कोई विशेष पदार्थ ही मिले ऐसा आग्रह नहीं रहा, पर जब तक भीतर कोई भी कामना है, तब तक परमात्मा से दूरी बनी ही हुई है. भक्त को यह विश्वास होता है कि परमात्मा हर तरह से उसकी मदद करते हैं, जो भी उसकी उन्नति के लिए श्रेष्ठ है वही वह होने देते हैं !

आज सुबह जून को उसने शून्य के बारे में बताया, void के बारे में, कुछ नहीं है....केवल ब्रह्म सत्य है. जगत मिथ्या है, आज ध्यान में यह सूत्र समझ में आया. आज भी समाचारों में सिक्किम में आए भूकम्प की भयानक खबरें सुनीं, अब भी कई लोग लापता हैं, कुछ मलबे के नीचे दबे हैं. प्रकृति कितनी कठोर हो सकती है, यह वे सोचते हैं, लेकिन प्रकृति इतनी विशाल है, अनंत है, उसमें थोड़ा सा विक्षेप एक ग्रह पर आए तो उसके लिए कुछ भी नहीं है. जैसे कोई लखपति हो और उसके गाँव के अनेकों घरों में से एक ढह जाये तो उसे क्या अंतर पड़ेगा. मानव भी प्रकृति का ही अंश है, मानव इस सारे ब्रह्मांड को अपने भीतर अनुभव कर सकता है, लेकिन प्रकृति के सम्मुख वह भी विवश है.

आज जून मुम्बई जा रहे हैं. दस बजने को हैं, थोड़ी देर में वह भोजन बनाने जाएगी. शाम को एक सखी की बिटिया से मिलने जाना है, उससे पहले घर में सत्संग है. कल सुबह केन्द्रीय विद्यालय जाना है एक प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका निभाने. दोपहर को एक मीटिंग में दुलियाजान क्लब जाना है. शाम को भी मीटिंग है, पर उसमें वह नहीं जाएगी. आजकल माँ को किचन में जलती गैस से भय लगने लगा है, वह कब उठकर गैस बंद कर आती हैं पता ही नहीं चलता. वह कड़ाही में सब्जी रखकर आयी, और कुछ देर बाद जाकर देखा तो गैस बंद है. उसे पल भर के लिए क्रोध आया, पर फिर समझाया मन को, वह हर हाल में बड़ी हैं, उनके प्रति प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिये. पिताजी उन्हें प्रेम से धमका सकते हैं, उनकी बात और है. नैनी की बेटी को खसरा हुआ था, पर अब उसका चेहरा लाल दानों से भर गया है, अस्पताल जाकर इलाज कराने के नाम से ये लोग घबराते हैं. नन्हा गोवा से लौट आया है, उसने वहाँ water sports तथा paragliding की. जीवन कितना अमूल्य है, एक-एक श्वास यहाँ अनमोल है, यह विचार उसके मन में कौंध गया जैसे ही नन्हे ने वह बताया.

आज उसने दीवाली के लिए सफाई का श्रीगणेश किया है. आज महालय है, आश्विन कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन. कल से नवरात्रि का आरम्भ हो रहा है. सिक्किम में लोग आपदा से जूझ रहे हैं, वहीँ गुजरात में लोग नृत्य में झूम रहे हैं. अजब है यह गोरखधन्धा, स्वप्न में जी रहे हैं जैसे सभी लोग. ऊपर से तुर्रा यह कि यह स्वप्न केवल रात को ही नहीं चलता, दिन को भी चलता है. यह स्वप्न चौबीसों घंटे चलता है. वे एक बड़ी साजिश के शिकार तो नहीं बनाये गये हैं ...?


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