Sunday, March 5, 2017

बरसे बदरिया सावन की


प्राणायाम कराने से उसके एक छात्र में काफी बदलाव आ रहा है, जो पढ़ते-पढ़ते ही सोने लगता था. अभी कुछ देर पहले ही वह पढ़कर वापस गया है, आज काफी सचेत था, उसका ध्यान टिकने लगा है. उसने ईश्वर से प्रार्थना की कि इस बालक पर अपनी कृपा बनाये रखे. सुबह एक सखी से बात की, वे लोग मकान बदलने वाले हैं, इसी घर की जब वे नये-नये आये थे, कितनी तारीफ़ की थी पर अब इसकी कमियां नजर आ रही हैं. नये घर में सब अच्छा ही होगा यह भी तो नहीं कह सकते, फिर भी बेहतर के लिए प्रयास तो निरंतर चलता ही रहता है, और चलना भी चाहिए. कल उसने एक स्थानीय लेखक की कविताओं की एक किताब के लिए प्रस्तावना लिखी. आज धूप तेज है. कल सुबह सड़क किनारे के पेड़ से आंधी में गिरे आम लाने पर उसने पिताजी को टोका तो वे आज न फूल ही लाये न आम, घर में खिले चाँदनी के फूलों को सजाया है. अपने ही घर में जब सब कुछ हो तो बाहर से लाने की क्या आवश्यकता है, पर मानव के भीतर का नन्हा बच्चा कभी बूढ़ा नहीं होता. अनंतपुर स्टेशन पर एक भयंकर रेल दुर्घटना हो गयी आज सुबह, काफी लोग मृत हुए, काफी घायल हुए, अभी भी कुछ लोग फंसे हुए हैं. जीवन में वैसे ही कितने दुःख होते हैं, ऊपर से यह भयंकर दुःख..

आज फिर वर्षा हो गयी है, मौसम सुहावना है. नन्हे ने कल बताया अगले महीने वह आ सकता है. रात को एक अद्भुत स्वप्न देखा, उसे लग रहा था वह जाग रही है, ध्यान में है, दो काली चीटियाँ दिखती हैं, बिलकुल जीवंत, चलती हुईं, उन्हें देखती है तो कंधे के पीछे से किसी के हँसने की आवाज आती है और यह वाक्य भी, ‘अब मृत्यु ही शेष है जीवन नहीं’ और तभी एक प्रवचन सुनाई देता है स्पष्ट था एक-एक शब्द उसका, वह मुस्का रही है, यह आभास भी हुआ यानि स्वयं को मुस्काते देखा..कैसा अनोखा स्वप्न था यह ! टीवी पर बापू द्वारा इजराइल में गायी रामकथा का प्रसारण हो रहा है, शायद दुनिया का कोई कोना नहीं बचा होगा, जहाँ वह न गये हों. राम का नाम विश्व भर में गूँज रहा है. अभी कुछ देर पहले उपनिषद के उपदेश पढ़े, Indian Philosophy में से, जो पिछली बार पब्लिक लाइब्रेरी से लायी थी. आज कान्हा से बातें भी हुईं, पहली बार कॉफ़ी भी ऑफर की, जागते रहने का मन्त्र उसने दिया. वे जागते हुए भी स्वप्न देखते हैं अर्थात सोये रहते हैं. पिताजी टीवी नहीं देख रहे हैं, बरामदे में बैठे हैं. यूँही बिना कुछ किये बैठे रहना उन्हें अच्छा लगता है. बड़े भाई की बिटिया का दसवीं का परीक्षा परिणाम आ गया, बहुत अच्छा रहा, उसे ९.५ की उम्मीद थी, ९.८ रहा, भैया-भाभी बहुत खुश हैं और सारा परिवार ही खुश है. सरदारनी आंटी की पोती के बारहवींमें ९७.२% अंक प्राप्त किये हैं, उसे याद आया उनके समय में ६०% अंक प्राप्त करने पर ही घर में लड्डू बांटे जाते थे.

आज शाम वे पूजा कक्ष की जगह आंगन में सत्संग करने वाले हैं, नैनी के परिवार को भी शामिल होने को कहा है शायद एकाध और भी परिवार आयें, धीरे-धीरे इसमें और भी लोग जुड़ते जायेंगे, आरम्भ के लिए आज का दिन उत्तम है. कल उसका जन्मदिन है और गंगा दशहरा भी. पिताजी ने बनारस से पंचाग मंगवाया है उसमें देखकर बताया. उसने कल एक कविता ‘मस्ती’ पर लिखी थी, पर लोग इतने दुखी हैं कि मस्ती की बात उन्हें जंचती ही नहीं. अभी-अभी कृष्ण भक्त प्रवीर की कथा पढ़ी, भक्त को मरना ही पड़ता है, बिना मरे कोई भक्ति नहीं कर सकता, तभी तो संतों ने गाया है, भक्ति करे कोई सूरमा..

कल शाम का सत्संग बहुत अच्छा रहा, चार बच्चे, चार बड़े, सद्गुरू की उपस्थिति स्पष्ट महसूस हो रही थी. उसके बाद उसे जिव्हा पर नियन्त्रण रखने का उपदेश भी दिया एक लीला रच के. बाद में लॉन में एक अभूतपूर्व अनुभव हुआ, उसका स्मरण होते ही अब भी रोमांच होता है. वह घास पर बैठी थी कि अचानक घास प्रकाश से भर गयी, फिर उसमें पारदर्शी धुंध सी निकलने लगी, जो ऊपर उठकर नीचे गिरने लगी, फिर तो बाकायदा प्रकाश की वर्षा होने लगी झर झर झर..बूँदें टपक रही हों जैसे, मीरा का भजन याद आया, बरसे बदरिया सावन की..यह इसी वर्षा को देखकर उन्होंने लिखी होगी. अमृत की वर्षा का जिक्र कबीर ने भी किया है. परमात्मा उनके साथ है, इसकी खबर वह कई रूपों में देता है. आज एक सखी अपनी बिटिया को छोड़ने मुम्बई जा रही है, जहाँ वह एमबीए की पढ़ाई करेगी. एक अन्य सखी नाराज है उससे, जिसका एक अनुरोध वह मान नहीं पायी थी, उसने प्रार्थना की, ईश्वर उसे सद्बुद्धि दे और तत्क्षण अपने लिए भी उसने यही प्रार्थना की.             
   


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