Friday, August 25, 2017

नामफाके की पिकनिक


आज सुबह पौने सात बजे ही वे पिकनिक के लिए निकल पड़े थे, ‘नामफाके’ नामक स्थान पर जो यहाँ से बीस किमी दूर है, लगभग पचास लोग इक्कठे हुए. बहुत आनंद मनाया, पानी में उतरे, खेल खेले, अच्छा नाश्ता व भोजन किया, फिर कुछ लोगों द्वारा किया गया बीहू नृत्य देखा. कुल मिलाकर पिकनिक अच्छी रही. शाम को साढ़े तीन बजे घर लौटे, यानि कुल साढ़े छह घंटे वहाँ बिताये और शेष यात्रा में, तैयारी में जो समय गया वह अलग है. जून ने कल दोपहर को खीर बना दी थी, और शाम को तैयारी करके उसने सुबह सबके लिए उपमा बनायी, सभी को पसंद आयी. पिकनिक के मुक्त वातावरण में तन व मन दोनों ही हल्के हो जाते हैं.  

इस वर्ष की कम्पनी की डायरी का रंग अच्छा है. आज ही मिली है हरी-भरी यह डायरी. कल की पिकनिक की तारीफ आज भी हुई, फोटो भी अच्छे आये हैं. बड़ी भांजी के विवाह की वर्षगांठ है, दस वर्ष हो गये उसके विवाह को. नन्हा आज वापस बंगलुरू जा रहा है, इस समय शायद फ्लाईट में होगा. जून कल दिल्ली जा रहे हैं. सुबह सद्गुरू को सुना, अब उनकी बात उसे सीधे वहाँ तक ले जाती है, जहाँ वे उन्हें ले जाना चाहते हैं. जीवन एक यात्रा ही तो है सभी कहीं न कहीं जा रहे हैं,

रात्रि के सवा नौ बजे हैं. दूर कहीं से गाने की आवाजें आ रही हैं, उसकी आँखों में नींद का नाम भी नहीं है. आज सुबह गुरू पूजा और रूद्र पूजा में सम्मिलित होने का अवसर मिला. मौसम अब ज्यादा ठंडा नहीं रह गया है, परसों वसंत पंचमी है अर्थात वसंत भी आरम्भ हो चुका है. आज दोपहर वह बुजुर्ग आंटी से मिलने गयी, उसे देखकर वह सदा की तरह प्रसन्न हुईं, उसे भी उनसे मिलकर अच्छा लगता है. इस उम्र में भी उन्हें अपने वस्त्रों का बहुत ध्यान रहता है, साफ-सुथरे मैचिंग वस्त्र पहनती हैं, बंगाली उपन्यास पढ़ती हैं. शाम को बगीचे में टहलते हुए ओशो की किताब पढ़ी, सारे सदगुरुओं का स्वाद एक सा होता है. अभी कुछ देर पहले उसने कितने ही पन्ने कविताओं से भर डाले हैं..कृपा हुई है ऐसी कि इसकी कोई मिसाल नहीं दी जा सकती. जो कलम दो शब्द नहीं लिख रही थी पिछले कई दिनों से, आज मुखर हो गयी है. बसंत का मौसम जैसे भीतर उतर आया है. परमात्मा की कृपा अनंत है, वह नजर नहीं आता पर अपनी मौजूदगी जाहिर कर देता है. वह यहीं है आसपास ही ! 

जून आज वापस आ गये हैं, ढेर सारा सामान लाये हैं, अमरूद, रसभरी और बेर भी.. और शायद भारी सामान उठाने के कारण ही उनकी कमर का दर्द भी. कल रविवार है, विश्राम उन्हें स्वस्थ कर देगा. आज उनकी लायी विशेष सब्जी बनानी है, शलजम तथा भिस. बगीचे से भी ढेर सारी सब्जियां तोड़ीं. टीवी पर शशि पांडे की बातचीत सुनी, उनकी कोई किताब उसने पढ़ी तो नहीं है, मौका मिलने पर पढ़ेगी.

आज बच्चों को उसने ‘सरस्वती पूजा’ और ‘गणतन्त्र दिवस’ पर प्रश्नोत्तरी करवाई. आज छोटी बहन के विवाह की वर्षगांठ है और छोटी भांजी की बिटिया का जन्मदिन..और बराक ओबामा भारत आये हैं. सुबह से टीवी पर उन्हीं से जुड़े कार्यक्रम दिखाए जा रहे हैं. मोदीजी और ओबामा की मित्रता काफी गहरी होती जा रही है. भारत विकास की बुलंदियों को छुएगा. सजग नागरिक होने के नाते उन्हें भी इसके लिए कुछ करना होगा. फ़िलहाल तो कल सुबह ‘गणतन्त्र दिवस’ की परेड देखने जाना है. वापस आकर टीवी पर भी परेड देखनी है. ओबामा के आने से इस बार परेड कुछ विशेष लग रही है. शाम को एक मित्र परिवार को बुलाया है, वह दक्षिण भारतीय व्यंजन बनाएगी.



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