Monday, November 6, 2017

मन का आकाश


भारत एक खोज’ में कालिदास का प्रथम भाग देखा. भारत का अतीत कितना गौरवशाली था. आज बड़े भाई से बात हुई, उन्होंने आर्ट ऑफ़ लिविंग का कोर्स शुरू कर दिया है, आज दूसरा दिन था. सुदर्शन क्रिया भी की. अभी कुछ देर पहले अचानक वर्षा आरम्भ हो गयी, कहीं से बादल का एक टुकड़ा आ गया और कहने लगा उसे तो यहीं बरसना है. अब धूप खिली है और आकाश में बदली भी नजर नहीं आती. अब भला प्रकृति के आगे किसका जोर चलता है. नन्हे ने कल शाम फोन किया, उनकी कम्पनी का वार्षिक कार्यक्रम आज से शुरू हो रहा है, कल शाम तक चलेगा. वे लोग इंडोनेशिया और फिलिपींस में भी काम शुरू कर रहे हैं. काफी तेजी से ये लोग आगे जा रहे हैं. क्लब की सेक्रेटरी पतिदेव के तबादले के कारण यहाँ से जा रही हैं, उनके लिए कुछ लिखने का मन है पर उनसे जानकारी लेना इतना आसान नहीं है, वह बहुत बोलती हैं, इधर-उधर की कुछ ज्यादा..पुरानी कविता से ही काम चलाना होगा.

सुबह चार बजे से कुछ पहले ही नींद खुल गयी. मौसम ठंडा था जब वे बाहर निकले. कल शाम को नैनी देर से आई, भीतर शिकायत की हल्की सी रेखा दिखी जो स्वयं को भी पसंद नहीं आई, अब दुःख की हल्की सी भी रेखा भी सहन नहीं होती, मन का आकाश नीला और स्वच्छ होना ही मान्य है अब बुद्धि को. नन्हा आज भी व्यस्त होगा, उसने अपनी नींद, भूख सब भुला दिए हैं, खुद से बड़ा कुछ प्राप्त करना हो तो ऐसा करना ही होगा. वे खुद को बचाते हैं तो खुद से छोटे ही रहते हैं.

आज ‘मदर्स डे’ है, नन्हे ने शुभकामना दी. उसकी कम्पनी का विज्ञापन भी देखा. संडे स्कूल के बच्चों को भी दिखाया और मातृ दिवसकी महत्ता बतायी. कल शाम वे कल्पना पटवारी को सुनने गये थे, जो भोजपुरी गायिका हैं. उसे पहले एक मित्र परिवार के लिए सोयाबीन दाल व आलू की सब्जी बनाकर ले गये. उनके यहाँ जाने पर वे लोग हमेशा पूरी-सब्जी खिलाकर भेजते हैं, कहते हैं, उनके घर की परंपरा है. ‘भारत एक खोज’ में आज का अंक राजा हर्षवर्धन पर है. आज सुबह पिताजी से बात की, चौरासी साल की उम्र में वे अभी तक प्रतिदिन हिंदी व अंग्रेजी में एक-एक पन्ना अखबार से देख कर लिखते हैं. उन्हें इस तरह अनुशासित जीवन बिताते देखकर कितना अच्छा लगता है, वह उनके लिये पुनः एक कविता लिखेगी या एक परिचय ! भाई से बात की, आज कोर्स का अंतिम दिन था. उन्हें कोर्स अच्छा लगा. गुरूजी के जन्मदिन के उत्सव में भी वह जायेंगे.

आज स्कूल गयी थी, छोटे बच्चों ने योग कक्षा का आनन्द लिया पर बड़े धूप के कारण परेशान थे. जून को आज आने में देर होगी, कोई प्रेजेंटेशन है. आज ही ‘एक जीवन एक कहानी’ में तेरह वर्ष पूर्व में हुए उनके प्रेजेंटेशन की बात लिखी है. समय कितनी तेजी से बीत रहे है. देखते-देखते और कुछ वर्ष बीत जायेंगे और उन्हें यहाँ से चले जाना होगा. जीवन भी एक दिन अंत को आएगा, इस देह का जीवन. भीतर का जीवन तो सदा से है, सदा रहेगा. आज तीन पौधे लायी है नर्सरी से. तीनों को गमलों में लगाना है. कल सुबह ही सम्भव होगा जब माली आएगा. अगले महीने उन्हें लेह जाना है. मंझले भाई ने गेस्टहाउस में कमरा आरक्षित कर दिया है.


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